लव जिहाद शीर्षक ही बहुत मनोरंजक है और जैसे गोदी मीडिया ने इसका नामकरण कर प्रचार प्रसार किया है वो सराहनीये है। 19वीं सताब्दी से जो लव फला-फुला वो 21वीं सताब्दी में कब धार्मिक हो जायेगा किसी ने सोचा नहीं होगा। इसमें कोई नयी बात नहीं के एक समुदाय के लड़के ने किसी और समुदाय के लड़की से और एक समुदाय की लड़की ने किसी और समुदाय के लड़के से प्यार कर शादी की हो पर इसका राजनितिक इस्तेमाल जो आज हो रहा है वो हम सबके सामने है। हम भारत के लोग भिन्न- भिन्न राज्य में रहने के बाद भी भाषा न मिलते हुए भी दिल मिलाते आये हैं। साउथ के लोगों का दिल नार्थ-ईस्ट के लोगों पर आ जाना इतना आसान तो नहीं रहा होगा। ये प्यार ही है जो अंतर-जातीय विवाह से अंतर-धार्मिक विवाह कराते आया है। 70 के दशक से लेकर 90 के दशक तक हमारे बॉलीवुड के फिल्मों ने भी प्यार को प्राथमिकता से दिखाया है और युवाओं के दिलों पर राज किया है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ से लेकर अलीगढ हर जगह की कहानी एक सी है। 24 नवंबर 2020 को जब लव जिहाद कानून लागु हुआ था तब समझने वाले समझ गए थे के इसका उपयोग किसके पछ और किसके विपक्ष में होने वाला है। बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद् जैसे संगठनो का इसमें कितना हस्तक्षेप रहा है ये बरैली के रहने वाले राधा और नईम की कहानी से समझा जा सकता है जो शादी के बाद मेरठ चले गए थे। आप थोड़ा समय निकाल कर गूगल कर सकते हैं। यहाँ सब कुछ लिख पाना संभव नहीं। बलराज डूंगर जो मेरठ के बजरंग दल के स्टेट कन्वेनर थे अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। ऐसे अनेकों रोचक कहानियाँ आपको सोशल मीडिया से लेकर विभिन्न ऑनलाइन साइट्स पर मिलेगी जिसमे आप उत्तर प्रदेश के पुलिस कार्रवाई और राजनीति को भली-भाँति समझ सकते हैं।
उत्तर प्रदेश भारत का महत्वपूर्ण राज्य हैं और इसमें होने वाले घटनाओं का असर हम सब पर पड़ना स्वाभाविक है चाहे बलात्कार की बात हो या लव जिहाद, सरकार के तरफ से उठाये गए किसी भी गलत कदम का विरोध करना हमारा सांविधानिक अधिकार है और उसका उपयोग हमें भरपूर करना चाहिए ? यहाँ विरोध का अर्थ शांतिपूर्ण विरोध से है वरना क्या पता नेशनल सिक्योरिटी एक्ट भी आज कल काफी प्रचलित है उसका इस्तेमाल मुझ पर हो जाये ?
1 Comments
अत्यंत संवदेनशील मुद्दे के पीछे छिपी हुई पीड़ा को लेखक ने जिस व्यंगात्मक अंदाज़ में छिपाने का प्रयास किया है, वह सचमुच काबिल -ए -तारीफ़ है।
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