इसमें कोई शंका नहीं के भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ आबादी वाले देशों में दूसरे पायदान पर है और ये भी संभव है के अगले जनगणना में पहले पायदान पर आ जाये। समय के साथ आबादी का बढ़ना किसी भी देश के लिए नई बात नहीं है। कई देशों ने इसपर रोकथाम के लिए समय समय पर अलग अलग कदम उठाये हैं। इसमें राजीव गाँधी के समय नसबंदी योजना से ले कर चाइना के एक परिवार एक शिशु निति प्रचलित है। इन योजनाओ का कितना असर पड़ा है अनेक लेखों को पढ़ कर समझा जा सकता है या इस पर शोध करना एक अलग विषय है।
जब भी युवा बेरोजगारी से मानसिक प्रताड़ना झेल कर सड़कों पर उतरता है ये हमेशा देखा गया है के सरकारें आबादी को ले अपना प्रचार प्रसार तेज कर देती है। ऐसा बताने की कोशिश होती है के देश में जितनी भी कठिनाइयाँ है उसका एक मात्र कारण आबादी है। इस बात में कितनी सचाई है 2019 में प्रकाशित विभिन्न लेखों को पढ़ कर समझा जा सकता है जैसे एनडीटीवी, इकनोमिक टाइम्स , टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार केंद्र सरकार में 6.84 लाख रिक्तियाँ थी। ऐसे ही सारे राज्यों में खाली पदों की रिक्तियाँ का आंकलन किया जा सकता है।
जो रिक्तियाँ है उनको भरना और पदों को बढ़ाना भी सरकार का ही काम है। समय के साथ जिस प्रकार सारी दुनिया विकास की पटरी पर सरपट दौड़ रही है उसके साथ सरकारी संस्थाओ को भी आगे बढ़ाने का काम सरकार को ही करना होगा चाहे वो किसी की भी सरकार बने। शिक्षा और स्वास्थ किसी भी देश की रीढ़ होती है और सरकार को हमेशा इसे आगे रखना चाहिए, इसके बिना कोई भी देश कभी शक्तिशाली नहीं बन सकता है इसका उदाहरण अभी हम सभी ने कोरोनाकाल में देखा है।
आबादी को बहाना बनाने के बजाये सरकार को समस्या के असल कारणों को खोज उससे लोहा लेने की आवश्यकता है। युवाओं को भी इससे बाहर निकल कर असल मुदद्दो पर बात करने आगे आना चाहिए। किसी भी देश को विकाशील से विकसित देश बनाने में सबसे बड़ा योगदान युवाओं का ही रहा है। साथ ही युवाओं का साथ देने सभी संघठनो को साथ आने की ज़रूरत है। हमारी देश की सबसे अच्छी बात यही है की सबसे ज़्यादा आबादी युवाओं की है। इसे आपदा न समझे बल्कि अवसर में बदले।
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