कैसी होगी तुम 


क्या  तुम   सूरज   जैसी   होगी  जो  अंधेरो  को  दूर  भागता  है , या   फिर  चाँद  जैसी  जो  अंधेरो  में  ही  रौशनी फैलाता  है 


क्या  तुम  बुलेट  ट्रैन  जैसी  होगी  जिसका  सिर्फ  मैं  नाम  सुनता  हूँ, या  फिर  पैसेंजर ट्रैन  जैसी  जिसका  मैं  कभी  सफर  भी  करता  हूँ 


क्या तुम  हजार  के  नोट  जैसी  होगी  जो  मुझे  एक  दिन  छोड़  जाओगी , या  फिर  गाँधी  जैसी  इन  नोटों  पर  हमेशा  छपती  नजर  आओगी 


क्या  तुम  15 लाख  के  तरह  होगी  और  खुद  को  जुमला  बता  कर मुझसे  पीछा  छुड़ा  लोगी , या  फिर  आधार  नंबर  जैसी  मेरे  सारे  चीजों  में  घुसने  की  कोशिश  करोगी 


क्या   तुम  GST  के  तरह  होगी  जो  खुद  को  एक  बता  कर  अनेको  में  बट  जाओगी  या  फिर  गरीबी  के  तरह  मेरा  हमेशा  पीछा  करोगी 


क्या  तुम  AAP के  तरह  होगी  और  धीरे-धीरे  कमजोर  होती  जाओगी  या  फिर  मोदी  की  लहर  की  तरह  मुझे  आँधियों में  उड़ा दोगी 


क्या  तुम  माल्या , नीरव  मोदी , मेहुल  की  तरह  होगी  और  मुझे  लूट  कर  विदेश  भाग  जाओगी  या  फिर  राजा, कनिमोजहि  के  तरह  मेरा  साथ  निभाऊंगी 


क्या  तुम  हिन्दू -मुस्लिम  झगड़े  जैसी  होगी  जो  सिर्फ  खून  की  प्यासी  रहोगी  या  फिर  ईद -होली  जैसी  हो  कर  मुझसे  हमेशा  गले  मिलती  रहोगी 


गर  तुमको  ये  पैगाम  मिले  मेरा  तो  मुझको  ज़रूर  बताना  के  आखिर  तुम  कैसी  होगी  ऐसी  होगी  या  वैसी  होगी