कसमों में सबसे बड़ा कसम विद्या की कसम मैं भी खाकर कहता हूँ के कल से पहले तक मैं भी Rihanna को नहीं जानता था पर कल सोशल मीडिया पर मचे भूचाल के बाद सोचा तो एक बार देख ही लेना चाहिए पर हिम्मत नहीं हुई लेकिन फिर मुद्दा किसान आंदोलन से जुड़ा था तो देखना पड़ा। देखने पर पता चला के जिसे मैं नजर अंदाज कर रहा था वो कितनी बड़ी हस्ती है, कितनी पॉपुलर पॉप स्टार है। Tweeter पर देखने के बाद पता चला के 10 करोड़ से ऊपर followers हैं। फिर मैंने उस tweet को पढ़ा जिसे लेकर इतना बवाल मचा है वहां पर एक किसान आंदोलन का फोटो लगा था और लिखा था के हम इसपर बात क्यों नहीं कर रहे हैं? मैं 5 मिनट बस ये सोचता रहा के इस tweet से न पक्ष का पता चलता है न विपक्ष का ! क्या पता Rihanna सरकार के पक्ष में कुछ चर्चा करना चाहती हों ? कम से कम एक बार तो पूछ ही लेना चाहिए था!क्या पता इतने सारे सरकारी celebrity की ज़रूरत ही न पड़ती? पता नहीं सरकार और सरकारी लोग ऐसा क्यों मानते है के बाहर से होने वाला प्रतेक tweet उनके विपक्ष में ही होगा? ज़रूरी नहीं के सारे celebrity पढ़े लिखे ही हों और उनका सारा tweet विपक्ष में ही आये ? कभी-कभी पढ़े लिखे लोगों से भी गलतियां हों जाती हैं। 

सचिन तेंदुलकर आईपीएल में मुंबई से खेलते रहे हैं जिसकी मालिक नीता अम्बानी हैं और यही हाल रोहित शर्मा का भी है। तीनो कृषि कानूनों से फायदा भारत के इन्ही 10-15 पूंजीपतियों का होने वाला है इसलिए इन्होंने सरकार के पक्ष में tweet किया है ऐसा ही सारे celebrity के बारे में कुछ न कुछ तर्क लगा कर कहा जा रहा है पर मैं ऐसी बातों से बिलकुल इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता। हम सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान मानते आये हैं, भगवान और मनुष्य में अंतर होता है। भगवान से गलती नहीं होती। सारे celebrity जिन्होंने Rihanna के tweet का जवाब दिया है उसमे एक बात तो साफ़ है के वो भारत के आंतरिक मामलो में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप के पक्ष में बिलकुल नहीं है ठीक उसी तरह जैसे कश्मीर में 370 हटने के बाद European delegation कश्मीर घूमने भारत आया था। क्यों के सरकार ने कहा था उनका दौरा private है इसलिए वो विदेशी नहीं थे? 


कल से पहले तक मैं यही जानता था के हमारे माननीय आदरणीय प्रधानमंत्री जी से लोकप्रिय दुनिया में कोई नहीं है क्यों के tweeter पर उनके  5.6 करोड़ followers हैं पर Rihanna के 10 करोड़ से अधिक followers देख मन बिलकुल उदास और क्रोधित सा हो गया। मन किया के ज़ोर ज़ोर से पाकिस्तानी चिलाँऊँ पर फिर बात जल्दी समझ आ गयी के उनके followers तो ख़रीदे हुए होंगे पर अपने तो दिल से करते हैं, हँसते-हँसते जान दे देंगे पर उफ़ नहीं करेंगे! तभी तो उनके एक आवाज़ पर हम सब एक सा खड़े हो जाते हैं नोटबंदी हो, जीएसटी हो या फिर कोरोना काल? नोटबंदी में कड़ी धुप में खड़े होने से लेकर, कोरोना काल में रेलवे पटरियों पर नंगे पैर चलने तक हमसब साथ ही तो खड़े हो जाते है ताकि उनकी कही बात सच साबित हो आखिर हमसब उनसे इतना प्यार जो करते हैं ? 

कल सारे सेलिब्रिटी ने जो एक स्वर में एक हो जाने की बात कही है अगर आपको भी लगता है के वो निस्वार्थ है तो एक बार उनके tweeter हैंडल पर जाकर देख आइए के जब दिल्ली में 2020 के फ़रवरी में दंगे हो रहे थे क्या तब भी भारत को वो एक कर रहे थे? जमात इस्लामी के लोग भारत में कोरोना फैला रहे थे और गोदी मीडिया प्रोपैगैंडा क्या तब भी भारत को वो एक कर रहे थे? सुशांत सिंह राजपूत के मौत के लिए जब गोदी मीडिया रिया को कातिल मान चुकी थी क्या तब भी भारत को वो एक कर रहे थे? सबकी छोड़ दीजिये कोई एक की भी मिले तो मुझे कमेंट कर के ज़रूर बताएगा क्यों के मुझे नहीं पता? भारत को जब फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्वीटर पर नहीं बल्कि सच में भारत माँ के धरती पर एक होने की ज़रूरत होती है तो उन्हें कोई एक नहीं करता किसी को अपनी फिल्म पिट जाने का डर तो किसी को अपने जान खो देने का डर बोलने नहीं देता? आज 73  दिन के किसान आंदोलन में जिन घर के बच्चे मर गए हैं उनकी माँ से पूछिए वो सरकार के बारे में क्या सोचती हैं? वो सरदार ही हैं जिनके बच्चे बॉर्डर पर चाहे वो चीन का हो या पकिस्तान का शहीद हो रहे हैं और उनके बच्चे ही आज गाज़िबाद बॉर्डर, सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में भी शहीद हो रहे हैं। 

अगर हज़ार जाने गवां देने के बाद ये कृषि कानून वापस भी हुआ तो क्या फायदा? वो अपने देश के ही हैं साहेब, भारत माँ के सपूत उनसे कैसी नाराजगी? छोड़ दीजिये अहंकार और गले लगा लीजिये। किसान की विजय में भी आप की ही विजय है।